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ब्लैक फंगस (Mucormycosis) क्या है? बीमारी के लक्षण और बचने के उपाय।

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क्या है ब्लैक फंगस या mucormycosis?

कोविड 19 से उबरने वाले लोगों पर ब्लैक फंगस व म्यूकर माइकोसिस के अटैक के कई मामले राज्य में सामने आ रहे हैं। यह जानलेवा फंगस है। यदि इसका शुरुआती दिनों में इलाज नहीं किया गया तो यह जान ले सकता है। इसमें मृत्यु की आशंका 40 से 50 प्रतिशत तक होती है। यह कहना है पारस एचईसी अस्पताल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डॉ. शिव अक्षत का। उन्होंने बताया कि कोविड के इलाज के दौरान स्टेराॅयड का प्रयोग किया जाता है। मगर इस दवा से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

साथ ही, शरीर में शुगर का स्तर भी बढ़ा देता है। कोविड की वजह से कुपोषण भी हो जाता है। ऐसे में कोविड से उबरने के बाद ब्लैक फंगस का अटैक हो जा रहा है। कोविड से उबरे शुगर के मरीजों में म्यूकर माइकोसिस का संक्रमण ज्यादा देखा जा रहा है। इसलिए उन्हें सावधान रहने की जरूरत है। यदि म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस का लक्षण दिखे तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। थोड़ी भी देर करने पर जीवन से हाथ धोना पड़ सकता है।

म्यूकर माइकोसिस के लक्षण

बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो या सांस फूल रही हो।

नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।

आंख में दर्द हो। आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए।

चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो।

दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करे।

उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए।

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किन लोगों को खतरा

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, कुछ खास कंडीशन में ही कोरोना मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा बढ़ता है. अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड की वजह से कमजोर इम्यूनिटी, लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में दाखिल रहना, किसी अन्य बीमारी का होना, पोस्ट ऑर्गेन ट्रांसप्लांट, कैंसर या वोरिकोनाजोल थैरेपी (गंभीर फंगल इंफेक्शन का इलाज) के मामले में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ सकता है.

क्या करें अगर लक्षण दिखाई दे तो।

ब्लैक फंगस के कोई लक्षण नजर आए तो तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जन विशेषज्ञ को तुरंत दिखाएं ताकि जल्दी इलाज शुरू हो सके।

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क्या क्या सावधानियां बरते।

खुद या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टरों, दोस्तों, मित्रों, रिश्तेदारों के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें।

लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने के दुष्परिणाम हो सकते हैं। बीमारी शुरू होते स्टेरॉयड शुरू न करें। इससे बीमारी बढ़ सकती है।

स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद, केवल गंभीर मरीजों को। इससे पहले बहुत सी जांच होना जरूरी हैं।

इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं।

स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।

घर पर अगर ऑक्सिजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नॉर्मल स्लाइन डालें, बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।

शुगर लेवल पर नियंत्रण है बचने का तरीका।

शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखें, स्टेराॅयड दवा सोच-समझकर लें। यदि ऑक्सीजन लगाने की नौबत आए तो हाइजीन का ख्याल रखें। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए ऑपरेशन करना पड़ता है। ऑपरेशन कर संक्रमित ऊतक को हटाया जाता है। फिर एंटी-फंगल थेरेपी दी जाती है। इसमें दो दवा प्रमुख रूप से दी जाती है, जिसमें लिपोसोमल एमथोटेरिसीन शामिल है। इसके अलावा पोसाकोनाजोल और इसावूकोनाजोल दवा भी दी जाती है। म्युकर माइकोसिस की पुष्टि के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन किया जाता है। बायोक्सी (संक्रमित ऊतक की जांच) किया जाता है। इस जांच से संक्रमण का स्पष्ट पता चल जाता है।

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