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Mansukh Mandaviya biography in Hindi. मनसुख मंडाविया की जीवनी।

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मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet 2021) से कई दिग्गज मंत्री एक झटके में बाहर कर दिए गए। इनमें स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन (Former Union Health Minister Harshwardhan) भी शामिल हैं।

कोरोना महामारी के मैनेजमेंट में हर्षवर्धन बुरी तरह फेल साबित हुए थे सो उनका जाना आश्चर्य की बात नहीं है। उनको बाहर करके प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना महामारी से निपटने से सम्बंधित दो बड़े सन्देश दिए हैं – पहला तो ये कि सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में अपनी विफलता को स्वीकार किया है। दूसरा सन्देश देश को ये दिया है कि अब हेल्थ मैनेजमेंट की दिशा में सही काम किया जा रहा है।

हर्षवर्धन किस वजह से हटाए गए।

डॉ हर्षवर्धन एक सफल मंत्री साबित नहीं हो पाए सो उनका जाना कोई बहुत हैरत की बात नहीं है। मोदी के पहले कार्यकाल में वो 7 महीने तक स्वास्थ्य मंत्री रहे थे और उनको हटा कर जेपी नड्डा को कमान सौंपी गयी थी। यानी हर्षवर्धन को दो बार बाहर का दरवाजा दिखाया गया है।

कोरोना मैनेजमेंट के अलावा रामदेव की कोरोना किट और एलोपैथी के बारे में बयानों को लेकर भी हर्षवर्धन निशाने पर रहे।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने खुल कर उनकी लानत-मलामत की।

गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी.

कोरोना की पहली लहर जब काफी धीमी पड़ गयी थी तो मार्च में डॉ हर्षवर्धन ने भारत में महामारी ख़त्म हो जाने की घोषणा कर दी थी। ये बहुत गैर जिम्मेदाराना बयान था, जो चंद दिनों में साबित भी हो गया। उनके बयान के कुछ ही दिनों बाद कोरोना का विकराल स्वरूप सामने आ गया। अप्रैल में महामारी का ऐसा प्रकोप देखा गया जो अभूतपूर्व था।

ऑक्सीजन की कमी, दवाओं की कालाबाजारी, अस्पतालों की दुर्दशा – ये सब ऐसी चीजें थीं जिनसे बतौर स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन का सीधा ताल्लुक और जवाबदेही थी। हर्षवर्धन खुद दिल्ली में चांदनी चौक से संसद हैं और दिल्ली में ही कोरोना की दूसरी लहर में आम जनता और पार्टी नेता-कार्यकर्ता, सब उनसे बेहद नाराज रहे।

बैठकों से भी बाहर किये गए.

मार्च के महीने में डॉ हर्षवर्धन पूरी तरह दरकिनार हो चुके थे और महत्वपूर्ण बैठकों में उनकी मौजूदगी ही नहीं रही थी. मिसाल के तौर पर 17 मार्च को प्रधानमंत्री ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए मुख्यमन्त्रियों के साथ बैठक की.

बाद में पीएमओ से को बयान जारी हुआ उसमें कहा गया था कि बैठक में गृह मंत्री ने उन जिलों के बारे में बताया जहाँ कोरोना तेजी से फ़ैल रहा था और जिनपर मुख्यमंत्रियों को फोकस करना था. इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से सिर्फ केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कोरोना मामलों पर एक प्रेजेंटेशन दिया. डॉ हर्षवर्धन का कोई जिक्र नहीं किया गया.

फिर 8 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने फिर मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की और इसमें भी स्वास्थ्य मंत्री की बजाये स्वास्थ्य सचिव ने कोरोना की स्थिति पर प्रेजेंटेशन दिया. 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने उन 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की जहाँ कोरोना बेकाबू हो रहा था. इस बैठक में नीति योग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने प्रेजेंटेशन दिया.

अप्रैल में प्रधानमंत्री ने कोरोना की स्थिति को लेकर कई बैठकें कीं लेकिन सबमें डॉ हर्षवर्धन नदारद रहे. महामारी की विकराल स्थिति में देश के स्वास्थ्य मंत्री की गैरमौजूदगी बड़े मायने रखती थी. ये प्रधानमंत्री की नाराजगी का साफ़ संकेत था.

मनसुख मंडाविया का जीवन परिचय (Mansukh Mandaviya Biography In Hindi)

प्रधानमंत्री मोदी ने अब मनसुख मंडाविया को देश का नया स्वास्थ्य मंत्री बनाया है। अब जानते हैं कि मनसुख मंडाविया कौन हैं (Mansukh Mandaviya Kaun Hain), मनसुख मंडाविया का जन्म कहां हुआ (Mansukh Mandaviya Birth Place), मनसुख मंडाविया की शिक्षा (Mansukh Mandaviya Education )

मनसुख मंडाविया का जन्म गुजरात के सौराष्ट्र में भावनगर जिले के पलिताना तालुका के एक छोटे से गांव हनोल में हुआ था। मंडाविया एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। कहा जाता हैं उन्हे जानवरों से काफी लगाव है। इसी जानवर प्रेम ने मंडाविया को गुजरात में पशु चिकित्सा विज्ञान का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि बाद में उन्होंने राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और राजनीति में आकर अपने नाम एक बड़ा रिकॉर्ड बनाया।

मनसुख मंडाविया का राजनीतिक करियर (Mansukh Mandaviya Political Career)

मनसुख मंडाविया के नाम एक बड़ी उपलब्धि है। साल 2002 ने मनसुख 28 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विधायक बने थे। इसके बाद गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते मनसुख साल 2011 में गुजरात कृषि उद्योग निगम के अध्यक्ष बने। मनसुख दो बार राजयसभा भी पहुंचे।

साल 2012 में राजयसभा सांसद बनने के बाद साल 2018 में फिर उन्हें राज्यसभा भेजा गया। इस बीच 2016 में मनसुख मंडाविया केंद्रीय मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री के तौर पर शामिल हुए थे।

वहीं स्वास्थ्य मंत्री का पद मिलने से पहले बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग राज्य मंत्री का पद भार संभाला चुके हैं, साथ ही रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री का भी चार्ज संभाला। 

नए स्वास्थ्य मंत्री के सामने हैं बड़ी चुनौतियाँ.

कोरोना महामारी का प्रकोप कुछ कम हुआ है लेकिन तीसरी लहर की आहट भी है। ऐसे में मनसुख मंडाविया के सामने कई चुनौतियाँ हैं जिनमें सबसे बड़ी है देश के सरकारी हेल्थ सिस्टम में लोगों का भरोसा लौटाने की।

कोरोना महामारी ने लोगों का सरकारी हेल्थ सिस्टम में भरोसा ख़त्म कर दिया है, इसे ठीक करना बहुत बड़ी चुनौती है। सरकार ने पिछले डेढ़ साल में सरकारी हेल्थ सेक्टर के बारे में जितनी भी घोषणाएं की हैं, उनको लागू करना होगा।

दूसरी चुनौती है कोरोना वैक्सीनेशन की। ज्यादा से ज्यादा लोगों को कम से कम समय में वैक्सीन की डोज़ लग जाए ये बहुत व्यापक काम है। साथ ही बहुत से लोगों में वैक्सीन के प्रति आशंका है और वे इसे लगवाने में हिचकिचा रहे हैं। ऐसे लोगों को समझाना, जागरूक करना और उनको वैक्सीन लगवाने का भी बहुत बड़ा टास्क पूरा करना होगा।

मनसुख मंडाविया के हवाले एक बुरी तरह चरमराया हुआ हेल्थ सिस्टम है, उससे निपटना उनकी सबसे बड़ी परीक्षा होगी. मंडाविया गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र से आते हैं और मोदी सरकार में 2016 से महत्वपूर्ण भूमिका में रहे हैं।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में एक महत्वपूर्ण युवा चेहरा रहे.

मनसुख लक्ष्मणभाई मंडाविया राज्यसभा के सदस्य हैं। उन्होंने अपनी युवावस्था में एबीवीपी की राज्य कार्यकारी समिति के रूप में कार्य किया। वह 2002 के पलिताना निर्वाचन क्षेत्र के विधायक भी चुने गए।

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के भाजपा नेता मनसुख मंडाविया 2016 से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में एक महत्वपूर्ण युवा चेहरा रहे हैं।उन्हें पहली बार केंद्रीय कैबिनेट में 5 जुलाई, 2016 को सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाजरानी और रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया था।

मंडाविया 2002 में गुजरात में सबसे कम उम्र के विधायक बने.

इससे पहले, उन्होंने गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। उन्होंने भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) में शामिल होने से पहले, आरएसएस की छात्र शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। मंडाविया 2002 में गुजरात में सबसे कम उम्र के विधायक बने जब वे पलिताना निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए।

स्‍वास्‍थ क्षेत्र में मं‍डारिया ने किए हैं ये काम.

2014 में, वह भाजपा के मेगा सदस्यता अभियान के प्रभारी भी बने, जिसके दौरान एक करोड़ लोग पार्टी में शामिल हुए। अगले वर्ष 2015 में, उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया, जहां उन्होंने ‘सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा’ पर भाषण दिया। केंद्रीय मंत्री के रूप में, उन्हें सस्ती दरों पर 850 से अधिक दवाएं उपलब्ध कराने और हार्ट स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण की लागत को कम करने के लिए 5,100 से अधिक जन औषधि स्टोर स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है।

उन्हें यूनिसेफ द्वारा महिलाओं के मासिक धर्म स्वच्छता में योगदान के लिए जन औषधि केंद्रों की श्रृंखला का उपयोग करके ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल तकनीक से बने 10 करोड़ सैनिटरी पैड को मामूली कीमत पर बेचने के लिए सम्मानित किया गया था।

मंडावियां के ये प्रयास खूब सराहे गए.

भावनगर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर, मंडाविया को लंबी पदयात्राओं (पैर मार्च) के आयोजन के लिए भी जाना जाता है, जिसमें उन्होंने लड़कियों की शिक्षा और नशे के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक विधायक के रूप में दो पदयात्राएं कीं। उनके संगठनात्मक कौशल को ध्यान में रखते हुए, उन्हें 2013 में राज्य भाजपा का सबसे कम उम्र का सचिव और 2014 में महासचिव बनाया गया था।

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